🌧️ 4. घर का दरवाज़ा और आँखों का बोझ (💔 “वो दिन… जब नौकरी चली गई”)

🌧️ 4. घर का दरवाज़ा और आँखों का बोझ (💔 “वो दिन… जब नौकरी चली गई”)

घर पहुँचा तो माँ ने पूछा:
“आज जल्दी कैसे आ गए?”

मैंने मुस्कुराकर कहा:
“काम थोड़ा कम था…”

लेकिन ये मुस्कान भारी थी।
कमज़ोर थी।
और झूठी थी।

कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद किया,
बैठा, और बस सोचता रहा—

“अब क्या?”

EMI
Bills
Future
Family
वो सारे सवाल कतार में खड़े थे।

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