🚶‍♂️ 3. ऑफिस से बाहर आते हुए वो आखिरी कदम (💔 “वो दिन… जब नौकरी चली गई”)

🚶‍♂️ 3. ऑफिस से बाहर आते हुए वो आखिरी कदम (💔 “वो दिन… जब नौकरी चली गई”)

मैंने अपने डेस्क से सामान समेटा—
एक डायरी, एक पेन, दो फोटो…
और ढेर सारी यादें,
जिन्हें कोई cardboard box नहीं समा सकता।

लोग मिले, कुछ ने shoulder पकड़ा,
किसी ने कहा “It’s okay, होता है…”

लेकिन अंदर पता था—
ये सिर्फ formalities हैं।
नौकरी जाने का दर्द सिर्फ वही समझता है
जिसकी नौकरी जाती है।

जब बिल्डिंग से बाहर निकला,
ठंडी हवा ने स्वागत नहीं…
चुभन दी।

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